हिमा दास का जीवन परिचय – Hima Das biography in hindi

हिमा दास का जीवन परिचय, जाति, जीवन संघर्ष |Hima Das Biography in hindi (Birth, Family, Caste, education in Hindi)


हिमा दास का जीवन परिचय, जाति, जीवन संघर्ष |Hima Das Biography in hindi (Birth, Family, Caste, education in Hindi)

असम की रहने वाली भारतीय रेसर हिमा दास ने फ़िनलैंड में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया है। हिमा दास ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर प्रथम स्थान हासिल कर स्वर्ण पदक जीता ओर यह रिकॉर्ड कायम करने वाली वह देश की पहली महिला बन चुकी हैं। हिमा दास असम राज्य के छोटे से किसान परिवार से हैं, उन्होंने दौड़ने की ट्रेनिंग लेना 2017 में अपने कोच से शुरू किया था। हाल ही में असम पुलिस ने हिमा दास को डीएसपी के पद पर नियुक्त किया है।


हिमा दास का जन्म और परिवार (Hima Das Birth and Family)


हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम राज्य के नागाव जिले के ढिंग में हुआ था हिमा एक दलित परिवार से हैं। हिमा की माताजी का नाम जोमाली दास हैं वह एक गृहणी हैं ओर पिता का नाम रोंजित दास है। वह खेती का काम करते हैं. परिवार में हिमा और उनके माता-पिता के अलावा 5 भाई और बहन हैं।


अपने ढिंग गांव से ही हिमा ने अपनी शुरूआती पढाई की हिमा की बचपन से खेलों में ज्यादा रुचि थी इस कारण वह अपनी पढ़ाई जारी नही रख पाई।


दौड़ के लिए हिमा दास का जीवन संघर्ष (Struggle Story of Hima das)


जब हिमा गांव में रहती थी तो बाढ़ की वजह से कई-कई दिन तक प्रैक्टिस नहीं कर पाती थी क्योंकि नौगांव में अक्सर बाढ़ के हालात बन जाते हैं वह जगह बहुत अधिक विकसित नहीं है वह अपने गांव के जिस खेत या मैदान में दौड़ की प्रैक्टिस किया करती थीं वह बारिश में बाढ़ से भर जाता था।


हिमा दास जब वर्ष 2017 में राजधानी गुवाहाटी में एक कैम्प में हिस्सा लेने आई थीं तब उन पर निपुण दास की नज़र उन पर पड़ी। निपुण उनके बारे में कहते हैं, उस दिन जिस तरह हिमा दास ट्रेक पर दौड़ रहीं थीं उसे देखकर मुझे लगा कि इस लड़की में अच्छी काबिलियत है।


इसके बाद निपुण हिमा के गांव में उनके माता-पिता से मिलने गए और उनसे कहा की आपकी बेटी में दौड़ में बेहतर बनने की काबिलियत है आप उसे कोचिंग के लिए गुवाहाटी भेज दें लेकिन हिमा के गुवाहाटी में रहने का खर्च उनके सामने था इस मुश्किल स्थिति में निपुण ने ही एक रास्ता निकाला.


उन्होंने हिमा के माता-पिता से बातचीत की और कहा कि हिमा के गुवाहाटी में रहने का खर्च मैं खुद उठाऊंगा, बस आप उसे बाहर आने की मंजूरी दें. इसके बाद वे हिमा को बाहर भेजने के लिए तैयार हो गए।


हिमा दास का करियर (Hima Das Career)


शुरुआत में हिमा को फ़ुटबॉल खेलने का शौक था, वे अपने गांव या ज़िले के आस पास छोटे-मोटे फ़ुटबॉल मैच खेलकर 100-200 रुपये जीत लेती थी. फ़ुटबॉल में खूब दौड़ना पड़ता था, इसी वजह से हिमा का स्टैमिना अच्छा बनता रहा, जिस वजह से वह ट्रैक पर भी बेहतर दौड़ करने में कामयाब रहीं.

कोच निपुण दास ने हिमा को फ़ुटबॉल से एथलेटिक्स में आने के लिए तैयार किया तो शुरुआत में 200 मीटर की तैयारी करवाई, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वे 400 मीटर में अधिक कामयाब रहेंगी.


18वे एशियाई खेल (18th Asian Games)


18 वर्षीय हिमा ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीतकर इतिहास रचा था. पूरे देश को एशियाई खेलों में भी उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी और वह इसकी दावेदार भी थीं. लेकिन सेमीफाइनल में उनके फाउल होने के कारण भारत के पदक जीतने की उम्मीदों को झटका लगा. और हिमा को इस प्रतिस्पर्धा में रजत पदक के साथ संतोष करना पड़ा. फाइनल रेस में उन्होंने 50.79 सेकेंड के समय निकाला. हिमा ने शानदार दौड़ लगाई।


फिनलैंड विश्व अंडर 20 चैंपियनशिप (Finland Under-20 Championship)


रेस के शुरुआती 35 सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन में भी नहीं थीं, शायद ही किसी ने उन्हें फ़िनलैंड के ट्रैक पर लाइव दौड़ते हुए देखा होगा. लेकिन एक शख्स थे जिन्हें हिमा की इस रेस का बेसब्री से इंतज़ार था. वे थे उनके कोच निपुण दास. हिमा के यूं अंतिम वक़्त में रफ़्तार पकड़ने पर निपुण दास कहते हैं, “रेस में जब आखिरी 100 मीटर तक हिमा चौथे स्थान पर थी तो मुझे यक़ीन हो गया था कि वह इस बार गोल्ड ले आएगी, मैं उसकी तकनीक को जानता हूं वह शुरुआत में थोड़ी धीमी रहती है और अपनी पूरी ऊर्जा अंतिम 100 मीटर में लगा देती है. यही उसकी खासियत है.”


चेक रिपब्लिक दौरा


इस दौरे में उन्होंने मात्र 19 दिन में 5 लगातार स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया हैं जिसमे 2 पदक उन्होंने पोलैंड में और 3 पदाक चेक रिपब्लिक में हासिल किय हिमा ने क्लाद्नो एथलेटिक्स मीट और ताबोर एथलेटिक्स मीट की 200 मीटर की क्षेणी में और नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांप्री में 400 मीटर की क्षेणी में स्वर्ण पदक हासिल किया।


पोलैंड दौरा


पोलैंड दौरे में हिमा ने 2 स्वर्ण पदक हासिल किये. यह दोनों पदक उन्हें 200 मीटर की रेस में प्राप्त हुए. हिमा को पहला पदक 2 जुलाई को पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस 23.65 सेकंड में पूरी कर जीता जबकि दूसरा 7 जुलाई को कुनटो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा कर जीता।



19 दिन में 5 पदक


पहला स्वर्ण पदक – पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 2 जुलाई के दिन 200 मीटर रेस 23.65 सेकंड में पूरी कर जीता।


दूसरा स्वर्ण पदक – पोलैंड में कुनटो एथलेटिक्स मीट में 7 जुलाई के दिन 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा किया।


तीसरा स्वर्ण पदक – चेक रिपब्लिक में क्लाद्नो एथलेटिक्स मीट में 13 जुलाई के दिन 200 मीटर रेस 23.43 सेकेंड में पूरी की।


चौथा स्वर्ण पदक –  चेक रिपब्लिक में ताबोर एथलेटिक्स मीट में 17 जुलाई के दिन 200 मीटर रेस 23.25 सेकंड के साथ जीती।

पांचवा स्वर्ण पदक – ‘नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांप्री’ में हिमा ने 20 जुलाई को 400 मीटर की रेस 52.09 सेकंड में पूरी करके जीती।