ज़िद्दी साधु की हिंदी कहानी – short moral story in hindi

ज़िद्दी साधु की हिंदी कहानी – short moral story in hindi

ज़िद्दी साधु की हिंदी कहानी - short moral story in hindi

एक गांव में साधु रहता था वह साधु भगवान पर बहुत विश्वास रखता था वह एक बार एक पेड़ के नीचे बैठा था और भगवान को याद कर रहा था, और अचानक वहां बाढ़ आ गई और चारों तरफ पानी ही पानी हो गया सभी लोग अपने आप को बचाने के लिए ऊपर की तरफ भागने लगे पहाड़ की तरफ उन लोगों में से एक ने देखा कि साधु जी इस तरह के हालात में भी भगवान की तपस्या कर रहे हैं वह सोचने लगा कि जल साधु कहीं जा क्यों नहीं रहे हैं अपने आप को बचाने के लिए तो उसने साधु से पूछा.. अरे आप कहीं जा क्यों नहीं रहे आप भी हमारे साथ चलो वहां पहाड़ पर वरना आप डूब जाओगे, साधु बोले.. अरे मुझे क्या होगा मैं भगवान की इतनी तपस्या करता हूं मुझे कुछ नहीं हो सकता, मुझे तो भगवान खुद ही बचाएंगे धीरे-धीरे अब पानी साधु की कमर तक आने लगा पानी बढ़ने की वजह से अब लोग नाव लेकर जाने लगे तो उनमें से एक ने साधु से कहा अरे पानी आपकी कमर तक आने लगा हमारे साथ चलो हमारी नाव में एक व्यक्ति की जगह खाली है।


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तो साधू बोले अरे आप जाओ भगवान मुझे खुद ही बचाएंगे ओर वह गांव वाले भी वहां से चले गए कुछ देर बाद पानी इतना बढ़ गया कि साधु पेड़ पर चढ़ गए पानी इतना ऊपर तक आ गया था कि अब तो बचाने के लिए ऊपर से हेलीकॉप्टर निकलने लगे उनमें से एक हेलीकॉप्टर साधु के पास आया जो कि आखरी हेलीकॉप्टर था उस हेलिकॉप्टर से एक आदमी ने नीचे रस्सी फेंकी और साधु से कहा इसको पकड़ो और जल्दी से ऊपर आ जाओ वरना आप को डूबना ही पड़ेगा यह आखरी हेलिकॉप्टर है और आपके पास कोई रास्ता ही नहीं है बचने के लिए तो साधु ने कहा यह रस्सी ऊपर खींच लो और वापस चले जाओ मुझे अपने भगवान पर पूरा भरोसा है वह मुझे बचा ही लेगा।


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अब पानी काफी ऊपर आ गया पेड़ भी डूब गया और साधु की भी डूबने से मौत हो गई मरने के बाद साधु भगवान के पास गया और भगवान से बोला पूरी जिंदगी तेरी तपस्या की अपना पूरा जीवन तेरी आराधना करने में लगा दिया फिर भी इतने भरोसे के साथ तेरा इंतजार किया कि तू मुझे बचाने आएगा लेकिन मेरी वहां डूब कर मौत हो गई और तू नहीं आया ऐसा क्यों?


भगवान बोले… मूर्ख इंसान में एक नहीं तीन बार आया था वह में ही तो था पहले पैदल, दूसरा नाव पर, और तीसरा हेलीकॉप्टर के साथ आया था लेकिन तू मेरा एक भी अवसर पहचान नहीं पाया ओर तू पता नहीं किसका इंतजार कर रहा था!


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इस तरह से हमारी जिंदगी में भी कितने ही मौके आते है लेकिन हम उन सब को ठुकरा कर पता नहीं किस चीज का इंतजार कर रहे होते हैं कि पहले वह चीज होगी उसके बाद करूंगा, इस तरह करते रहने से अपनी जिद पर अड़े रहने से वह अवसर भी हमारे हाथ से निकल जाता है ।


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