भारत के बंटवारे से जुड़े कुछ तथ्य – fact about partition of india in hindi

भारत के बंटवारे से जुड़े कुछ तथ्य – fact about partition of india in hindi

भारत के बंटवारे से जुड़े कुछ तथ्य - fact about partition of india in hindi

कहते हैं कि बंटवारा किसी मुल्क की सिर्फ जमीन का ही नहीं होता बटवारा लोगों की भावनाओं का भी होता है। लकीरे जो सरहदों पर खींची जाती है वह लोगों के दिलों पर भी गहरे निशान छोड़ जाती है आज आप भारत के बंटवारे से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जानेंगे जो पहले आप ने नहीं सुनी होंगी।


• भारत के विभाजन की तारीख घोषित होने के बाद बहुत से मुसलमानों ने यह मांग की कि ताजमहल को तोड़ कर पाकिस्तान ले जाना चाहिए और वहां फिर से इसे बनाया जाना चाहिए क्योंकि ताजमहल आखिरकार मुसलमान बादशाह ने बनवाया था लेकिन यह मांग कोई जोर नहीं पकड़ सकी।


• कुछ हिंदू साधु कह रहे थे चाहे जो भी हो जाए सिंधु नदी पाकिस्तान नहीं जाना चाहिए क्योंकि सिंध के बिना हिंद कैसे हो सकता है क्योंकि भारत की संस्कृति सिंधु गंगा और सरस्वती नदी के किनारे हैं फली फूली है।


• माउंटबेटन दोनों देशों की इंडिपेंडेंस सेरेमनी में शामिल होना चाहते थे इसीलिए भारत को आजादी मिली 15 अगस्त को और पाकिस्तान को आजादी 14 अगस्त को मिली अगर दोनों देश एक ही दिन आजाद होते तो माउंटबेटन का दोनों देशों के सेरेमनी में पहुंच पाना मुमकिन नहीं होता।

इसीलिए दोनों देश अलग-अलग दिन आजाद हुए


• पाकिस्तान एक अलग देश बना था उस वक्त उसके पास अपनी करेंसी नहीं थी 1948 तक पाकिस्तान भारतीय नोटों पर अपनी मुहर लगाकर भारतीय करेंसी का इस्तेमाल किया करता था 1948 के बाद पाकिस्तान में पाकिस्तानी रूपीस इस्तेमाल होना शुरू हो गया था।


• जैसे एक परिवार में दो भाइयों का बटवारा होता है और घर में मौजूद एक एक चीज को बांटा जाता है वैसे ही भारत और पाकिस्तान बंटवारे के दौरान जमीन के साथ-साथ बहुत कुछ बांटा गया था सिक्के, नोट, टेबल, साइकिल, कुर्सी, टाइपराइटर, लाइब्रेरी में मौजूद किताबें को भी बांटा गया था कुछ पाकिस्तान के हिस्से में आया और कुछ भारत के; इन बंटवारे को लेकर भी काफी झगड़े हुए क्योंकि इस्लाम में शराब को हराम मानी जाती है इसलिए शराब को लेकर कोई बहस नहीं हुई और शराब भारत के हिस्से में आई।


• भारत के वायसराय के पास 12 घोड़े गाड़ियां थी 6 गाड़ियां सोने से जड़ी थी तो 6 चांदी से जड़ी थी दोनों देश सोने की गाड़ियां चाहते थे इस बात को लेकर काफी बहस हुई कि किस देश के पास सोने की गाड़ी आ जाएंगी और किसके पास चांदी की अंत में यह फैसला हुआ कि टॉस कर के यह फैसला किया जाए कि सोने की गाड़ियां किसके पास रहेंगी और नतीजा भारत के पक्ष में गया।


• पाकिस्तानी की  पहली राजधानी कराची थी बंटवारे के 20 साल बाद 14 अगस्त 1967 को इस्लामाबाद को पाकिस्तान की राजधानी बनाया गया।


• अप्रैल 1948 को प्राइम मिनिस्टर नेहरू ने कुरुक्षेत्र रिफ्यूजी कैंप का दौरा किया था यह कैंप 100000 लोगों के लिए बनाया गया था लेकिन इसमें 3 गुना लोग रह रहे थे शाम को यहां सरकार की तरफ से डिज्नी फिल्म दिखाई जाती थी जिसे एक बार में 15000 लोग देखते थे।


• 14 अगस्त 1947 को जब भारत को आजाद होने में कुछ ही घंटे शेष बचे थे पूरे देश में हजारों हिंदू सिख मुसलमानों का कत्लेआम हो रहा था माउंटबेटन के बारे में यह कहा जाता है कि उस वक्त वह अपनी पत्नी एडविना के साथ अमेरिकन एक्टर की मूवी देख रहा था।


• 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर क्लिमेंट एटली ने यह घोषणा की कि 3 जून 1948 को भारत से ब्रिटिश रूल खत्म हो जाएगा 1947 की शुरुआत में देश में हिंदू मुस्लिम दंगे शिखर पर थे 3 मार्च 1947 को गांधी जी ने कहा देश का बंटवारा उनकी लाश पर से होगा एक तरफ गांधी जी अपनी जिद पर अड़े थे और दूसरी तरफ देश में हो रहे भयानक रक्तपात को देखते हुए सरदार पटेल और नेहरू ने यह मान लिया था कि अब देश का बंटवारा करना ही पड़ेगा

 उधर माउंटबेटन को यह अनुभव हो रहा था कि ब्रिटेन को भारत में हो रही हिंसा के कलंक से बचना है तो जल्दी से जल्दी देश को आजाद कर देना चाहिए यही वजह है कि माउंटबेटन ने आजादी की तारीख जून 1948 से खिसका कर 10 महीने पहले 15 अगस्त 1947 कर दी थी आखिरकार देश को आजादी मिली लेकिन देश के विभाजन की कीमत पर।


• मुंबई के गवर्नर john colville ने माउंटबेटन को लिखा कि भारत की आजादी के बाद अगर उसे ब्रिटिश फ्लैग फहराने नहीं दिया या ऐसा झंडा फहराने नहीं दिया जिसमें यूनियन जैक लगा हो तो वह भारत में नहीं रुकेगा माउंटबेटन खुद इस बारे में सोच रहा था उसने अपने आप दोनों देशो का झंडा तैयार किया उसने भारत के लिए स्वराज फ्लैग का इस्तेमाल किया और उसके ऊपरी तरफ छोटा सा यूनियन जैक बना दिया और पाकिस्तान के लिए उसने मुस्लिम लीग का झंडा लिया और उस पर भी यूनियन जैक बना दिया फिर दोनों झंडे जिन्ना और नेहरू के पास भेजे गए मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि पाकिस्तान के लिए हम इस झंडे को नहीं अपना सकते क्योंकि चांद के लिए क्रिश्चियन क्रॉस मुसलमान की भावनाओं के लिए ठीक नहीं है और पंडित नेहरू ने भी उसे अस्वीकार कर दिया और और उसे एक नया डिजाइन भिजवाया जिसमें बाकी तो सब स्वराज फ्लैग जैसा ही था बस चरखी के स्थान पर अशोक चक्र बनाया गया था और उस पर यूनियन जैक नहीं था माउंटबेटन के पास दोनों देशों के झंडे अपनाने के सिवा और कोई ऑप्शन नहीं था इस तरह ब्रिटिश फ्लैग को पूरी तरह विदा कर दिया गया।


• देशभर में ब्रिटिश फ्लैग को उतार लिया गया था और तिरंगा लहराया जा रहा था पंडित नेहरू ने माउंटबेटन की इस गुजारिश को मान लिया था कि ब्रिटिश फ्लैग को उतारते वक्त किसी तरह का जश्न नहीं होगा ताकि अंग्रेजों की भावनाओं को ठेस ना लगे तिरंगा लहराए जाने पर ही समारोह किया जाए।


• 15 अगस्त 1947 के दिन जब देश आजादी का जश्न मना रहा था तब गांधीजी आजादी के जश्न में किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे उस दिन उस दौरान वह कोलकाता में थे और हिंदू मुस्लिम दंगों को रोकने का प्रयास कर रहे थे


• cyril redcliffe जाने-माने ब्रिटिश लॉयर थे इन्होंने ही भारत पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा खींची थी आपको जानकर हैरानी होगी कि रेडक्लिफ को भारत और पाकिस्तान की बाउंड्री सेट करने के लिए बंटवारे से महज कुछ ही हफ्ते पहले भारत बुलाया गया था इससे पहले यह कभी भारत नहीं आए और ना ही इसके बाद वह कभी भारत लौटे। जब रेडक्लिफ भारत आए उस समय उन्हें भारत की राजनीति, व्यापार, संस्कृति, लोगों के आपसी रिलेशन, नदियों के बारे में और भारत के गांव की स्थिति के बारे में कुछ भी नहीं पता था यहां तक कि उन्हें भारत के भूगोल की भी पूरी जानकारी नहीं थी।


• रेडक्लिफ को इस तरह भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा तय करनी थी जिससे कि ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम पाकिस्तान में रह जाएं और ज्यादा से ज्यादा हिंदू सिख भारत में रह जाएं लेकिन रेडक्लिफ द्वारा खींची गई लकीर ने 50 लाख हिंदू और सिख को पाकिस्तानी पंजाब में छोड़ दिया और 50 लाख मुसलमानों को भारतीय पंजाब में छोड़ दिया।


• रेडक्लिफ के काम से ना तो इंडियन लीडर खुश थे और ना ही पाकिस्तान लीडर दोनों ने जमकर  रेडक्लिफ की आलोचना की इससे रेडक्लिफ नाराज हो गए रेडक्लिफ को उसके काम के लिए 2000 पाउंड मिलने थे उसने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन पैसों को लेने से इनकार कर दिया।


• 15 अगस्त 1947 को दोनों देश आजाद हो गए और दोनों देश का बंटवारा हो चुका था लेकिन रेडक्लिफ ने दोनों देशों की सीमा रेखा वाली रिपोर्ट आजादी के 2 दिन बाद 17 अगस्त को पब्लिश कि यह एक बड़ा कारण था कि देश की इतनी बुरी हालत हुई और इतने लोग मारे गए क्योंकि आधे लोगों को पता ही नहीं था कि पंजाब का कौन सा हिस्सा पाकिस्तान के पास रहेगा और कितना हिंदुस्तान के पास लोग बेहाल होकर सिर्फ अपनी मंजिल को तलाश रहे थे।


• इतिहासकार leonard Mosley लिखते हैं अगर रेडक्लिफ रिपोर्ट आजादी से पहले पब्लिश हो जाती और इसकी जानकारी पहले ही प्राप्त होती कि कौन सा हिस्सा किस देश के पास जा रहा है तो फौज को अच्छे से तैनात किया जा सकता था लेकिन माउंटबेटन ने रेडक्लिफ़ रिपोर्ट के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया देश के आजादी का दिन तो खुशी-खुशी बीत गया लेकिन लाखों लोगों का सब कुछ तबाह हो गया।


• इतिहासकार Micheal Edwardes लोखते हैं की माउंटबेटन भारत की स्थिति को संभालने में बिल्कुल नाकाम रहा जितना समय उसने दोनों देशों के झंडे तैयार करने जैसे मसले में बर्बाद किया उतना समय देश की असली समस्याओं पर नहीं लगाया बंटवारे में कितने लोग मारे गए और कितने लोगों ने अपना घर छोड़ा इस बारे में कुछ भी प्रमाणित रुप से नहीं कहा जा सकता है लेकिन यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2 लाख से लेकर 20 लाख तक लोग मारे गए थे और करीब एक करोड़ 40 लाख लोगों ने अपना घर छोड़ा बंटवारे के दौरान अगर किसी की बहुत ही बुरी दुर्दशा हुई थी तो वह थे बच्चे और महिलाएं।