क्यों हम किसी काम मे बार बार रुक जाते हैं – Why do we stop at work

क्यों हम किसी काम मे बार बार रुक जाते हैं – Why do we stop at work

क्यों हम किसी काम मे बार बार रुक जाते हैं - Why do we stop at work

1 मिनट के लिए मान लीजिए आप में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है आप कुछ भी कर सकते हो आपके ऊपर कोई रुकावट नहीं है, अब बस 1 मिनट के लिए सोचिए कि आप क्या पाना चाहते हो? जो आपके दिमाग में आए उसे चुन लीजिए चैलेंज छोटा हो या बड़ा उसकी चिंता मत कीजिए जैसे मैं पौष्टिक खाना (जंक फूड को छोड़ना हो) खाने की एक छोटी सी आदत चुनता हूं जो मैं बहुत समय से अपनाना चाहता हूं और बार-बार इस इस कोशिश को छोड़ देता हूं फिर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं पहले कितनी बार फेल हो चुका हूं, आज से दोबारा कोशिश करूंगा और तब तक नहीं रुकूँगा जब तक मैं सफल ना हो जाऊं। लेकिन सवाल यह है कि मैं बार-बार रुक क्यों जाता हूं? और मैं अभी तक क्यों रुका था, इसी तरह शायद में कितनी बातों के लिए रुका हुआ हूं आज हम उस समय में हैं जब ऑनलाइन टूल्स, एप्स आपकी मदद के लिए हैं, ऑनलाइन कोर्सेज और किताबें हैं, जो सीख 5 से 10 साल में हमे अपने अनुभव और संघर्ष से मिलती थी वह आज आपको किसी मेंटर से आसानी से मिल जाती हैं, आप जब चाहे सेल्फ डेवलपमेंट का सफर शुरू कर सकते हो तो फिर वही सवाल तो फिर हम अटके क्यों हैं?

पहला सवाल है कि – “सब ठीक है”

जब आप किसी से पूछते हो कि भाई क्या हाल है तो यही जवाब मिलता है कि ‘सब ठीक है’ लेकिन यह एक खतरनाक शब्द साबित हो सकता है। यह दूसरों से बोलना तो ठीक है लेकिन आप खुद से यह झूठ नही बोल सकते कि ‘सब ठीक है’ क्योंकि आप इस बात पर भरोसा करने लगते हो कि सब ठीक है और हम वहीं के वहीं रुक जाते हैं। साइंटिस्ट कहते हैं कि इस धरती पर इस डीएनए के साथ इंसान के शरीर में होना बहुत कम चांस है क्योंकि यह 400 खरब में से एक बार ऐसा होता है, हमारा जिंदा होना अपने आप में बहुत बड़ी घटना है इस दुर्लभ मौके को भूलकर आप और मैं, ठीक कैसे हो सकते हैं हमको आनंदित होना चाहिए, जोश में होना चाहिए, प्रयत्नशील होना चाहिए, कभी भावुक होकर रोना चाहिए लेकिन सिर्फ ठीक नहीं होना चाहिए यह ठीक होना हमारी हरकतों में आ चुका है, सुबह उठते ही हम लोग सबसे पहले क्या निर्णय लेते हैं ,अलार्म स्नूज़ करके सुबह को थोड़ा टाल देते हैं उसी तरह जीवन में आपको कई आईडियास, प्रेरणा और मौके के मिलते हैं, छोटी बड़ी बातें सामने दिखती है, जिनमें हम सुधार कर सकते हैं लेकिन उन्हें हम टाल देते हैं और इस टालते रहने की बीमारी का हम कुछ नहीं करते क्योंकि सब ठीक ही तो है, लेकिन यह ठीक आपको कभी चैन से बैठने नहीं देगा क्योंकि आपके अंदर जो बैठा है वह कभी ठीक नहीं होना चाहता वह विस्तार करना चाहता है यह समझने के बाद भी हम रुके क्यों है?

एक सिंपल एक्सपेरिमेंट करके देखते हैं।

आप जो भी समय हो उठते हैं उससे बस 45 मिनट पहले का अलार्म लगाइए अलार्म बजते ही आंखें खोलीये और उठकर खड़े हो जाइए फिर अपना दिन शुरू कीजिए, आपको यह ध्यान रखना है कि आप आंखें खोलने ओर बिस्तर से नीचे खड़े होने के समय बिल्कुल सचेत रहें क्योंकि कमरा, बिस्तर, और शरीर, कह रहा है कि लेटे रहो! हमारे मन में तरह-तरह के विचार आते हैं कि 45 मिनट पहले क्यों उठना? अभी तो नींद पूरी नहीं हुई है, इस दशा से निकलने के लिए आपको मानसिक ताकत की जरूरत है आप इस मेंटल फोर्स को महसूस करो।

इस फोर्स को phycologist Activation energy कहते हैं यह असल में केमिस्ट्री का कांसेप्ट है जिसे साइकोलॉजिस्ट ने उधार लिया है।

एक्टिवेशन एनर्जी वह कम से कम मोटिवेशन या मेंटल फोर्स है जो आपको कोई हरकत पूरी करने के लिए चाहिए एक एथलीट चाहे वह प्रोफेशनली क्यों ना हो उसे हर नया वर्कआउट करने में, नया बिहेवियर शुरू करने में जो उसे बेहद थका देगा, यही मानसिक फोर्स लगाना पड़ता है जो इस समय आप लेटे हुए महसूस करते हो, आपको क्या लगता है जो लोग दिन रात मेहनत करते हैं जो अकेले अपने टेबल पर काम करते रहते हैं वह लोग बोरिंग होते हैं नहीं.!! यह लोग हर दिन इस मेंटल फोर्स से आगे बढ़कर खुद को पुश करना जानते हैं, ओर इसीलिए यह लोग अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाते हैं और कामयाब होते हैं।

इसी बात से दूसरे जरूरी पॉइंट पर आते हैं।

बचपन में आपको पुश करने या धक्का लगाने का काम आपके माता-पिता करते थे लेकिन 18 साल की उम्र के बाद आप की खुशकिस्मती होगी कि आपको कोई व्यक्तिगत तौर पर गाइड भी कर दे, लेकिन आप को धक्का लगाना और बार-बार समझाने और बिस्तर से उठाने कोई नहीं आ रहा, यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप इस गेप को खुद ही पार करें और वह भी हर बार।

तो चलिए जानते हैं कि आखिर लोग रुके क्यों रहते हैं

क्योंकि हमें लगता है कि सब ठीक है, हमें लगता है कि धक्का लगाने कोई आएगा, क्योंकि हमें लगता है कि कठिन काम करना एक दिन आसान हो जाएगा उस दिन शुरू करेंगे, आपकी जानकारी के लिए वह दिन कभी नहीं आएगा बहुत सरल बात है जो भी बदलाव आप लाना चाहते हो उस पर अभी पहला कदम उठाएं यह बात सिंपल लगती है लेकिन आसान नहीं है क्योंकि हमें खुद को धक्का लगाना नहीं आता क्योंकि हमें उस गेप के पार जाना नहीं आता।

तो सवाल यह है कि खुद को पुश कैसे किया जाए

आपको जो भी करना है उसे कुछ स्टेप्स में तोड़िये, पहला स्टेप्स ऐसे चुनिये या ऐसा एनवायरनमेंट बनाइए जिनकी एक्टिवेशन एनर्जी सबसे कम हो फिर उन स्टेप्स को पूरा करते जाइए, जैसे अलार्म क्लॉक बाथरूम में रखने से आपको अलार्म बंद करने के लिए बाथरूम में जाना पड़ेगा जहां से आगे बढ़कर मुंह धोना आसान है, यानी एक्टिवेशन एनर्जी ना के बराबर हो जाए जैसे जैसे आप इस गेप को पार करते हैं यह हरकत पुरानी होने से आसान हो जाती है यानी एक्टिवेशन एनर्जी गिर जाती है जितनी ज्यादा आप नई चीजें देखेंगे उतना यह गेप कम होता जाएगा। दोस्तों कंफर्ट जोन से बाहर निकलना आपकी मजबूरी है क्योंकि जितना आप सफल होंगे उतनी जिम्मेदारी आपको निभानी होगी, मतलब इतने नए बिहेवियर और आदत अपनाने होंगे, यानी उतनी बार आपको कंफर्ट जोन से बाहर निकलना होगा, इसलिए लंबा खेलने के लिए खुद को धक्का लगाने की कला आना चाहिए।

Mel robbins ( जो कि एक लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर हैं) वह एक प्रेक्टिकल ट्रिक बताती हैं,

वे कहतीं हैं कि मान लीजिए कि आपके दिमाग के दो पार्ट हैं आपका दिमाग एक तरफ ऑटो पायलट है जो हमेशा अपनी एनर्जी बचाते हुए कंफर्ट जोन में रहना चाहता है, और दूसरा पार्ट वह है जो सही समय पर सही सिग्नल देता है कि आपको क्या करना चाहिए, हमारा शरीर बहुत एफिशिएंटली काम करता है, जब खाना चाहिए होता है तब भूख लगती है, जब पानी चाहिए होता है तब प्यास लगती है, उसी तरह जब आप परेशान या कहीं अटके हुए होते हैं तो दिमाग आपको एक सिग्नल देता है कि आपको जो करना चाहिए वह आप नहीं कर रहे हैं, आपका दिमाग आपको सही एक्शन लेने के लिए एक बार रिमाइंड जरूर करता है सुबह उठते ही आवाज आती है कि पहले थोड़ी स्ट्रेचिंग या कसरत कर लेते हैं लेकिन अगर हम 5 सेकेंड के अंदर एक्शन नहीं लेते हैं तो वह काम टल जाता है क्योंकि दिमाग का ऑटो पायलट वाला हिस्सा कंफर्ट जोन में रहना चाहता है mel Robbins कहती हैं कि जब भी आपको सही एक्शन लेने की याद आती है तो उसके पांच सेकेंड के अंदर ही एक्शन लीजिए, इस समय अपने दिमाग के ऑटो पायलट वाले हिस्से को ट्रिक करने के लिए उल्टी गिनती शुरू कीजिए मन में 5,4,3,2,1 बोलकर तत्काल एक्शन लीजिए आप एक्टिवेशन एनर्जी का गेप पार कर जाएंगे।

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