हिंदी प्रेरणादायक कहानी कर्म पर – Hindi moral story on karma
शिक्षाप्रद हिंदी कहानी – Hindi moral story on karma
Hindi moral story on karma/एक छोटे से शहर की सीमा के बाहर एक पहाड़ था और उसके आस पास बहुत सारी खाली जमीन थी जहां पर कोई नहीं रहता था। उसी शहर में एक कलाकार रहता था जोकि बहुत रचनात्मक और अध्यात्मिक भी था 1 दिन टहलते टहलते वह कलाकार उस पहाड़ के पास जा पहुंचा उसके मन में विचार आया क्यों ना पहाड़ से गिरे हुए पत्थरों से में देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाऊं, वह उस जगह पर रोज आने लगा और उसने पत्थरों को तराश कर सुंदर मूर्तियां बना डाली मूर्तियां वाकई में बहुत सुंदर थी और धीरे-धीरे यह बात पूरे शहर में फैल गई पहले कुछ लोग आए, और धीरे-धीरे बहुत से लोग आने लगे उस जगह पर मूर्तियों को देखने के लिए।
कुछ लोगों ने पैसे इकट्ठे करके उस कलाकार को दिए और उसने एक मंदिर रूपी भवन भी बनवा लिया और उन मूर्तियों को वहां रखवा दिया। धीरे-धीरे आसपास के गांव और शहरों में भी उस भवन और उसके अंदर रखी मूर्तियों की बात फैल गई, अब वह जगह एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थान बन चुकी थी। अब तो लोग भी वहां दूर-दूर से आने लगे, अब रोज ही वहां भीड़ रहने लगी श्रद्धालु लोगों ने मूर्ति के आगे धन भी चढ़ाना शुरू कर दिया, दिन बीतते गए और वहां धन से तिजोरिया भर्ती चली गई उस स्थान की लोकप्रियता को देखते हुए लोग अपने अपने काम भी वहां जमाने लगे जैसे कि टैक्सी वालों ने गाड़ियां चलानी शुरू कर दी दुकानदारों ने आसपास खाने-पीने और अन्य सामान बेचना शुरू कर दिया यहां तक कि बिल्डरों ने भी प्रॉपर्टी डेवलप करके वहां बेचना शुरू कर दिया।
कुछ दिनों बाद वह कारीगर जो कि उस भवन का मालिक था अचानक बीमार पड़ गया डॉक्टरों से पता चला कि उसे कोई भयानक और जानलेवा रोग हुआ है डॉक्टरों ने उससे यह तक कह दिया कि अब उसके पास बस कुछ ही दिन बचे हैं। जब सब कुछ अच्छा चल रहा था तो उस समय यह भयानक रोग यह सोचकर वह कलाकार बहुत दुखी हो गया और यह सोचकर अक्सर वह रोता ही रहता था और अब वह भगवान को ताने भी देने लगा, कहता था कि मैंने तुम्हारे लिए इतनी सेवा करी तुम्हारा इतना प्रचार कर रहा हूं और तुमने बदले में मुझे यह फल दिया यह तो सरासर अन्याय है। एक दिन रात में उसे एक सपना आया और उसने देखा कि भगवान उसके सामने हैं और कह रहे हैं कि तुम मुझे किस बात के ताने दे रहे हो, ठीक है तुमने मेरे नाम से मूर्तियां बनवाई लेकिन याद करो वह दिन- जब एक अनाथ बच्चा तुम्हारे पास रोते बिलखते आया तो तुमने उसे अपना गुलाम ही बना डाला, याद करो वह बूढ़ा भिखारी जिसे तुमने आश्रय देने की बजाय धक्के मार कर दूर भगा दिया, याद करो वह दिन जब बहुत बारिश हो रही थी तब तुमने एक मां और उसके छोटे बच्चे को मंदिर के प्रांगण से यह कह कर हटवा दिया कि अब मंदिर बंद करने का समय हो रहा है वह दोनों बहुत देर तक बहुत देर तक बारिश में ही भीगते रहे, याद करो वह दिन जब कुछ बुजुर्ग इकट्ठे होकर तुम्हारे पास आए थे गरीब बच्चों के स्कूल खोलने के लिए पैसे मांगने तब धन तो तुम्हारे पास पर्याप्त था परंतु तुमने कहा कि जाओ सरकार से मदद मांगो, क्या तुमने एक विधवा महिला को बंधुआ मजदूर की तरह नहीं रखा हुआ है? पूरा दिन उस से काम लेते हो और बदले में देते तो दो रोटी बस, इतने सारे बुरे कर्म करने के बाद भी तुम मुझे किस बात का ताना दे रहे हो कर्मों का फल तो भोगना ही पड़ेगा तुमने जो कर्म किए हैं उसका दंड भी भोगना पड़ेगा उसी समय कलाकार की नींद खुल गई और उसकी अब आंखें भी खुल चुकी थी वह अपने द्वारा किए गए बुरे काम के लिए बहुत शर्मिंदा था।
इस कहानी से हमें बहुत अच्छी सीख मिलती है हम जैसा करते हैं उसका फल हमें किसी ना किसी रूप में जरूर मिलता है अब यह फल अच्छा होगा या बुरा यह मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्मों पर ही निर्भर करता है वह कहावत है ना जैसा बोओगे वैसा काटोगे अगर बबूल का पेड़ आया है तो हम आम नहीं खा सकते हमें कांटे ही मिलेंगे, इसलिए हमेशा परोपकारी काम ही करना चाहिए और हमेशा दूसरों की मदद भी करना चाहिए भागवत गीता में भी कहा गया है कर्म करो फल की चिंता मत करो।