कहानी प्यासे आदमी की – Hindi moral story on believe

कहानी प्यासे आदमी की – Hindi moral story on believe

एक बार एक आदमी जंगल में कहीं खो जाता है और उसके पास खाने-पीने का जो भी समान था वह बहुत जल्द खत्म हो जाता है और पिछले चार-पांच दिनों से वह पानी की एक-एक बूंद के लिए भी तरस रहा था और मन ही मन उसे यह लग रहा था कि अगले कुछ घंटों में उसे पानी नहीं मिला तो उसकी मौत संभव है पर उसे यकीन था, उसे यकीन था कि ऊपर वाला है कुछ चमत्कार तो जरूर होगा और उसे पानी मिल ही जाएगा।

तभी उसे दूर एक झोपड़ी दिखती है वह अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पाता है क्योंकि पहले भी उसके साथ ऐसा भ्रम हो चुका है। लेकिन उस पर यकीन करने के अलावा और कोई चारा था भी तो नहीं और यही उसकी आखिरी उम्मीद थी, और वह अपनी बची कुची ताकत से उस झोपड़ी की तरफ चल पड़ा जैसे जैसे वह झोपड़ी के करीब जा रहा था उसकी उम्मीद बढ़ती जा रही थी और इस बार भाग्य भी उसके साथ था सचमुच में वहां पर वो झोपड़ी थी मगर यह क्या वह झोपड़ी तो वीरान पड़ी थी मानो सालों से यहां पर कोई नहीं रहता हो, फिर भी पानी की उम्मीद में वह आदमी झोपड़ी के अंदर घुसा अंदर का नजारा देख उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ।

वहां एक हेडपंप लगा था वह व्यक्ति ऊर्जा से भर गया पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता हुआ वह हेडपंप को जोर से चलाने लगा लेकिन हैंडपंप तो कब का सूख चुका था वह व्यक्ति निराश हो गया उसने सोचा अब उसे मरने से कोई नहीं रोक सकता वह निढाल होकर वहीं गिर पड़ा तभी उसे झोपड़ी की छत में पानी से भरी एक बोतल दिखाई दी, वह किसी तरह उसकी तरफ लपका और उसे खोलकर पीने ही वाला था तभी उसे बोतल में चिपकी एक कागज दिखी जिस पर लिखा था “इस पानी का उपयोग हैंडपंप चलाने के लिए करो और वापस बोतल भर कर रखना ना भूलना” यह एक अजीब सी स्थिति थी उस व्यक्ति के लिए उस व्यक्ति को समझ नहीं आ रहा था कि वह पानी पिए या उस पानी को हैंडपंप में डालकर चालू करें उस व्यक्ति को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसके मन में बहुत सवाल उठ रहे थे अगर पानी डालने पर भी पंप नहीं चला तो क्या होगा? अगर यह लिखी बार झूठ हो गई तो फिर क्या होगा? और क्या पता जमीन के नीचे पानी सूख सा गया हो तो लेकिन, लेकिन अंत में उसने एक बात और सोची क्या पता पंप चल ही पड़े क्या पता कि यह लिखी बात सच हो वह सोच नहीं पा रहा था कि आखिर वह करें क्या फिर कुछ सोचने के बाद उसने बोतल खोली और कांपते हाथों से बोतल का पानी हैंडपंप में डालने लगा पानी डालकर उसने भगवान से प्रार्थना की और पंप चलाने लगा पांच से छह बार पंप चलाने पर उसमें से ठंडा ठंडा पानी आने लगा!

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उस व्यक्ति ने जी भर के पानी पिया उसकी जान में जान आ गई दिमाग काम करने लग गया उसने बोतल में फिर से पानी भरा और छत पर बांध दिया जब वह ऐसा कर रहा था तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी उसने उसे खोला तो उसमें एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था जिसमें उस जंगल से निकलने का रास्ता था उस व्यक्ति ने रास्ता याद कर लिया और नक्शे वाली बोतल को वहीं रख दिया, ध्यान से देखिए, उसने नक्शा फिर भी नहीं लिया वो चाहता तो नक्शा लेकर जा सकता था इसके बाद उसने अपनी बोतल में जो पहले से ही उसके पास थी उसमें पानी भर कर जाने लगा और कुछ आगे बढ़ा उसने फिर पीछे मुड़कर देखा और कुछ सोच कर वापस उसी झोपड़ी में गया और जो उसने छत पर बोतल पानी भर कर रखी थी उसे उतारकर कर उसके कागज को निकाल कर उस पर कुछ लिखने लगा और उसने कुछ इस तरह लिखा “मेरा यकीन मानिए इस हैंडपंप से पानी निकलता है” जबकि पहले कुछ ऐसा लिखा था कि इस पानी से हैंडपंप को चलाएं और यही पढ़ने के बाद उसके मन में आठ 10 सवाल आ गए थे।

और यह सही है हमारी जिंदगी में भी आप बहुत से लोग को देखते होंगे जो सक्सेसफुल है तो आपको लगता होगा कि हां यार यह लोग कर सकते हैं हम नहीं, वैसे ही जंगल में बहुत से लोग आते थे जो सोचते थे कि यार यह हैंडपंप चलेगा या नही चलो मैं पानी को पी ही लेता हूं यही सोचकर उस व्यक्ति ने लिखा कि मेरा यकीन मानिए इस हैंडपंप से पानी निकलता है सच में यह लाइन हमें सिखाती है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी अपनी उम्मीद मत छोड़ो और अगर कुछ बड़ा पाना हो तो अपनी तरफ से बहुत कुछ देना पड़ता है जैसे उस व्यक्ति ने नल चलाने के लिए उसके पास जो पानी था वह दे दिया तभी तो किसी ने यह कहा है।

 “सफर में धूप तो होगी चल सको तो चलो, सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो, इधर उधर कई मंजिल है चल सको तो चलो, बने बनाए सांचे जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहां बदलती है, तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो, यहाँ किसी को गिराकर कोई रास्ता नहीं देता, अगर तुम संभल सको तो चलो।

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