राजा के चार घोड़े – hindi moral story know yourself

Moral story in hindi – राजा के चार घोड़े

एक राजा था जिसके पास चार घोड़े थे, और उसके चारों ही घोड़े अप्रशिक्षित थे मतलब उन घोड़ा को कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई थी, उन घोड़ों को कोई भी ट्रेन नहीं कर पाया था, मतलब प्रशिक्षित नहीं कर पाया था, तो राजा ने घोषणा की कि जो भी इन घोड़ों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करेगा उन्हें बहुत बड़ा इनाम दिया जाएगा लेकिन जैसे ही कोई भी उन घोड़ों का हाथ लगा था वह घोड़ा उन्हें खींच कर नीचे फेंक देता बहुत लोगों ने कोशिश की और कई लोगों की हड्डियां भी टूट गई एक दिन एक जवान युवक आया और उसने कहा कि मैं इन घोड़ों को ट्रेन कर सकता हूं राजा ने उससे कहा, बहुत लोगों ने कोशिश की है और उन लोगों ने हड्डियां भी तुड़वा ली है लेकिन कोई भी अब तक सफल नहीं हुआ है और कोई भी इन घोड़ों को ट्रेन करने में कामयाब नही हुआ।

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तो वह युवक कहता है कि मुझे पूरा यकीन है कि मैं इन घोड़ों को ट्रेन कर सकता हूं उसने कहा लेकिन मेरी एक शर्त है मैं इन घोड़ों को अपने पास ही रख लूंगा जब तक यह पूरी तरह ट्रेन ना हो जाए ओर राजा ने उसकी बात मान ली।

हफ्ते निकल गए महीएक राजा था जिसके पास चार घोड़े थे, और उसके चारों ही घोड़े अप्रशिक्षित थे मतलब उन घोड़ा को कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई थी, उन घोड़ों को कोई भी ट्रेन नहीं कर पाया था मतलब प्रशिक्षित नहीं कर पाया था, तू राजा ने घोषणा की कि जो भी इन घोड़ों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करेगा उन्हें बहुत बड़ा इनाम दिया जाएगा लेकिन जैसे ही कोई भी उन घोड़ों का हाथ लगा था वह घोड़ा उन्हें खींच कर नीचे फेंक देता बहुत लोगों ने कोशिश की और कई लोगों की हड्डियां भी टूट गई एक दिन एक जवान युवक आया और उसने कहा कि मैं इन घोड़ों को ट्रेन कर सकता हूं राजा ने उससे कहा बहुत लोगों ने कोशिश की है और उन लोगों ने हड्डियां भी जुड़वा ली है लेकिन कोई भी अब तक सफल नहीं हुआ है लेकिन कोई भी सिम घोड़ों को ट्रेन करने में

तुम्हें युवक कहता है कि मुझे पूरा यकीन है कि मैं इन घोड़ों को ट्रेन कर सकता हूं उसने कहा लेकिन मेरी एक शर्त है मैं इन घोड़ों का अपने पास ही रख लूंगा जब तक यह पूरी तरह ट्रेन ना हो जाए ओ रे राजा ने उसकी बात मान ली,

हफ्ते निकल गए, महीने निकल गए, और 1 साल निकल गया लेकिन वह युवक नहीं आया, राजा ने कहा अब इन घोड़ों को भूल जाओ क्योंकि अब यह कभी वापस नहीं आएंगे घोड़े अब तक शायद ट्रेनर को छोड़कर भाग चुके होंगे, लेकिन कुछ देर बाद ही उसने देखा उसके चारों घोड़े शांति से एक लाइन में आगे बढ़ रहे थे वह भी उसी युवक के साथ राजा यह देखकर बहुत खुश हुआ कि घोड़े अब ट्रेन हो चुके हैं और उसने उस  युवक से पूछा बताओ तुमने इन्हें ट्रेन कैसे किया और तुमने इतना टाइम क्यों लगाया?


तो उस युवक ने कहा घोड़े सच में बहुत ही जंगली थे, जब मैं घोड़ों को लेकर गया था तब मैंने उन्हें पूरी तरह से छोड़ दिया था ताकि वह जो कर सके वह करें और उनके साथ में भी वही करने लगा जो वह कर रहे थे जब वह भागते तो मैं भी भागता था, जब वह सोते थे तब मैं भी सोता था, और जब वह खाना खाते थे तब मैं भी अपना खाना खाता था, घोड़े सोचने लगे थे कि मैं भी उनकी तरह ही पांचवा घोड़ा हूं कुछ समय बाद मैंने घोड़ों की पीठ पर सीट रखी लेकिन उन्हें सीट पसंद नहीं आई और उन्होंने खींचकर सीट को निकाल दिया लेकिन लगातार कोशिश करने के बाद धीरे-धीरे उन्हें सीट की आदत पड़ गई इसके बाद मैंने उन्हें बेल्ट पहनाया और वह भी उन्हें पसंद नहीं आया और उन्होंने खींच कर निकाल दिया लेकिन कुछ दिनों के बाद उन्हें बेल्ट की भी आदत हो गई इसी तरह से धीरे-धीरे में उनका दोस्त बन गया और मैं उन्हें ट्रेन कर पाया।

दूसरों ने गलती यह कि, कि वह पहले ही दिन से उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे बिना उनसे दोस्ती किये।

ठीक इसी तरह हमारे अंदर भी चार घोड़े हैं जो कि अप्रशिक्षित है और वह चार घोड़े हैं- मानस, बुद्धि, चिंता और अहंकार और जब हमें इन में से किसी एक को कंट्रोल करना होता है तो हम उसी वक्त उन पर पूरी तरह से कंट्रोल करना चाहते हैं, जिसका मतलब है कि हम एक ही मिनट में खुद का मास्टर बनना चाहते हैं बिना खुद पर काम किए हम इन चार घोड़ों को बहुत जल्दी कंट्रोल करना चाहते हैं और यही वजह है कि हम अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं।

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इन चारों में से एक घोड़ा हमसे कहता है कि आओ बैठकर घुड़सवारी करते हैं और जैसे ही हम उस पर बैठते हैं वह हमें नीचे गिरा देता है और गिराने के बाद फिर दूसरा घोड़ा हमसे कहेगा आओ मेरी पीठ पर बेठो और फिर जैसे ही हम बैठेंगे वह हमें नीचे गिरा देगा।

तो इन सब का मतलब क्या है?

इन सब का मतलब यह है कि पहले हमें अपने मन से दोस्ती करनी पड़ेगी ओर यह करने के बाद ही हमारा मन हमारी बात सुनेगा जब तक हम अपने मन से दोस्ती नहीं करेंगे हम हमेशा ही संघर्ष करते रहेंगे अपने मन के साथ। और यही वजह है कि बहुत से लोग जो योग, प्राणायाम करके भी सफल नहीं हुए मन को कंट्रोल करने में क्योंकि उनका अहंकार उनको अपने मन से दोस्ती करने नहीं देता।

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तो इन चार घोड़े मानस बुद्धि चिंता और अहंकार इन्हें सबसे पहले हमें अपने मन में अच्छे से जानना है इसके बाद ही हम अपने मन को अच्छे से कंट्रोल कर पाएंगे पॉजिटिव थिंकिंग हमसे यह कहटी है कि अपने मन से पॉजिटिव बात करें लेकिन कभी हम पॉजिटिव रह पाते हैं और कभी नहीं रह पाते इसका मतलब यही है कि हमने अपने मन से दोस्ती नहीं की उसे अच्छे से जाना नहीं है।

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