श्रीमद्भागवतगीता में श्रीकृष्ण ने बताये हैं निर्णय लेने के तरीके – dicision making

dicision making दोस्तों हम सभी को लाइफ में dicision लेने होते हैं, सही dicision निर्णय हमें जिंदगी में ऊंचा उठाते हैं और गलत dicision निर्णय हमें आगे बढ़ने से रोकते हैं, श्री कृष्णा ने dicision लेने के श्रीमद् भागवत गीता में कुछ नियम दिए हैं, दोस्तों श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसी बुक है जो आपकी जिंदगी को सही दिशा दे सकती है, आज हम आपको वह बातें बताएंगे जो आपको dicision making में मदद करेंगे 5000 साल पहले बताई गई यह बातें आज भी उतनी ही सच्ची हैं, तो चलिए देखते हैं श्रीमद्भागवत गीता हमें dicision निर्णय लेने में कैसे मदद करती है- dicision making


decision making

1. कोई भी निर्णय क्रोध में या मोह में ना लें

कुछ साल पहले लिखी गई बुक “सेवेन हैबिट्स आफ हाईली इफेक्टिव पीपल” जो कि बेस्ट सेलर बुक रही है मैं भी कुछ ऐसा ही बताया गया था, उसमें फर्स्ट हैबिट जो कि “प्रोएक्टिव” थी लेकिन यह बात भागवत गीता में तो 5000 साल पहले ही लिख दी गई थी, तो आप सोचें कि में ये निर्णय क्रोध में या मोह में तो नहीं ले रहा मोह का मतलब है कि आपका कोई भाई है तो आपका उसके तरफ ज्यादा झुकाव होगा, वही क्रोध में लिए गए डिसीजन के कारण लोग मर्डर तक कर देते हैं।

2. अपना कार्य करते रहें, फल की चिंता ना करें

अगर आपने भागवत गीता को पढ़ा है तो उसमें एक ही शब्द दोहराया गया है “निष्काम कर्म” मतलब कर्म करते रहो फल की चिंता ना करें।

अब जरा सोचिए आपने कितने ही अच्छे काम करना छोड़ दिए जब आपको रिजल्ट नहीं मिला, आप कुछ दिन तो मॉर्निंग वॉक पर गए लेकिन जब वजन कम नहीं हुआ तो आपने जाना छोड़ दिया डिसीजन लेते वक्त याद रहे आपने अपना कर्म करना है, रिजल्ट या परिणाम की चिंता नहीं करनी है क्योंकि परिणाम आपके हाथ में नहीं है।

दोस्तों dr spencer Johnson ने अपनी बुक Who Moved My Cheese मैं यह समझाने की कोशिश की है कि बदलाव तो आना ही है,

 उसी तरह susan jeffers ने अपनी बुक Feel The Fear And Do It Anyway मैं हम सभी को अपने कंफर्ट जोन से बाहर आने की बात कही है यह दोनों फॉरेन राइटर ने जो भी कहा है वह भागवत गीता में पहले ही लिखा जा चुका है कि बदलाव से मत डरो अगर आपके निर्णय लेने से बदलाव आ रहा है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है आपको जरूरत है तो इस कंफर्ट जोन से बाहर आकर सोचने की।

युद्ध लड़ना अर्जुन के लिए नई चीज है और वह इसके लिए तैयार नहीं है लेकिन बदलाव तो आना ही है और इसकी जरूरत भी है अर्जुन के दिमाग में युद्ध में यह जो अपनों को खोने का डर है यह गलत है और यही है अर्जुन का कंफर्ट जोन और इससे बाहर निकलने में श्री कृष्णा अर्जुन की मदद करते हैं।

3.अपनी फिलिंग्स के आधार पर कोई डिसीजन ना ले

दोस्तों सोचो अगर आपको एक चीज अच्छा फील कर आ रही है वहीं दूसरी चीज आपको बुरा फील कर आ रही है आप किस को चुनोगे ज्यादातर लोग अच्छा फील कराने वाली चीज को ही चुनेंगे, अर्जुन युद्ध नहीं लड़ना चाहते थे क्योंकि अर्जुन को युद्ध में अपने रिश्तेदार व अपने गुरुओं को खोने का डर था, मगर श्री कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध लड़ने का मार्ग दिखाया हमें कोई भी डिसीजन अपनी फिलिंग्स के आधार पर नहीं लेना है क्योंकि फीलिंग तो टेंपरेरी हैं, इसलिए फिलिंग्स को इग्नोर करो क्योंकि जिस डिसीजन से आपको अच्छा फील हो वह जरूरी नहीं सही हो।

Decision making process

4. आप जो भी करते हैं उस पर आपको विश्वास होना चाहिए

कोई भी डिसीजन लेने से पहले यह सोचे क्या मुझे यह सही लग रहा है क्या मैं इस पर विश्वास कर सकता हूं, विश्वास एक ऐसा स्तंभ है जिसके बिना आपका डिसीजन लंगड़ा है और थोड़ी देर बाद आप इस डिसीजन पर कायम नहीं रह पाएंगे इसलिए एक अच्छा डिसीजन ले और खुद पर और भगवान पर विश्वास करें।

5. अत्यधिक भावना में कोई भी डिसीजन ना लें

भागवत गीता के अध्याय 6 में श्री कृष्ण ने कहा है कि हमें अपने दिमाग में को बैलेंस करके चलना चाहिए कोई भी जरूरी डिसीजन तब मत ले जब आप बहुत ज्यादा खुश हैं या फिर बहुत ज्यादा दुखी हों क्योंकि ज्यादा खुश और ज्यादा दुखी में लिया गया डिसीजन गलत ही साबित होगा, आपने देखा होगा लोग जब बहुत ज्यादा खुश होते हैं आप उनसे कुछ भी मांग लो वह दे देते हैं लेकिन जब वह दुखी होते हैं तब इसका उल्टा ही होता है, क्योंकि ज्यादा खुश और ज्यादा दुखी होने पर हमारा दिमाग कुछ अलग ही रिएक्ट करता है, इसीलिए ज्यादा खुशी या ज्यादा दुखी होने पर लिया गया डिसीजन पर हमें पछताना पड़ सकता है।

6. अपना लक्ष्य बड़ा रखें

अब देखते हैं गीता के चैप्टर 3 और श्लोक 21 को

जो भी एक्शन एक ग्रेट मैन लेता है उसको आम आदमी फॉलो करते हैं

जरा सोचिए हम श्रीकृष्ण को भगवान क्यों मानते हैं क्योंकि उनके कर्म और एक आम इंसान के कर्म में फर्क होता है, शब्द बदल के कहूँ तो श्री कृष्णा ने अपना स्टैंडर्ड और लक्ष्य को आम इंसान के लक्ष्य से कहीं ऊपर रखा है और इसीलिए सारी दुनिया उन्हें पूजती है, तो डिसीजन लेने से पहले सोचें कहीं मैंने अपने लक्ष्य को बहुत कम तो नहीं रखा है जो मैं आसानी से प्राप्त कर लूंगा, अपने गोल्स और सोच को बड़ा रखें।

भागवत गीता की तीसरे अध्याय में लिखा है
जो भी चीज समाज के लिए अच्छी नहीं है वह आपके लिए भी अच्छी नहीं होगी।

भागवत गीता के पांचवे अध्याय में लिखा है
यह बात श्री कृष्ण ने स्पष्ट रूप से कही है जो व्यक्ति परमात्मा में विश्वास रखता है वह सुखी रहता है तो कोई भी इंपोर्टेंट डिसीजन लेते वक्त परमात्मा में विश्वास जरूर रखें।

Process of decision making

7. सही परामर्श सही डिसीजन लेने में मदद करता है

दोस्तों जरा सोचिए अर्जुन खुद भी ज्ञानी थे, लेकिन जब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था तब उन्होंने अपनी समस्या शेयर की अपने दोस्त श्री कृष्णा के साथ आप भी अपनी समस्या को अपने मन में ना रखें आपकी जिंदगी में कोई भी समझदार व्यक्ति है आप उससे अपनी समस्या जरूर शेयर करें एक स्टूडेंट के लिए यह एक दोस्त, पैरंट, या टीचर हो सकता है।

एक बात और कई बार भागवत गीता के पेज पलटने से भी हमें अपनी समस्या का समाधान मिल जाता है पर इस बात को वही समझ सकता है जिसने भागवत गीता को पढ़ा है!

दोस्तों हमारे पुराने भारतीय वेदों, ग्रंथो, ओर पुस्तकों में बहुत सी ऐसी ही रोचक बातें ओर जीवन को आसान बनाने वाली बातें दी हुई है जो कि आज यही सब बातें हमें बड़े बड़े प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकों में पढ़ने को मिलती है जबकि हमारें वेदों और शास्त्रों में कई साल पहले ही यह बातें लिखी जा चुकी है अगर में आपको उदाहरण दूँ तो आपको पता होगा कि गुरुत्वाकर्षण की खोज न्यूटन ने की थी, लेकिन न्यूटन के 1000 वर्ष पूर्व ही गुरुत्वाकर्षण की खोज ब्रह्मगुप्त ने कर दी थी, ब्रह्मगुप्त जो कि एक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे!