4 बातें अपने काम में Best करने के लिए | 4 things to do best in your work hindi

एक आदमी अपने मन को शांत करना चाहता था। ध्यान सीखने वह बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्री जा पहुंचा। उसने ध्यान के साथ अन्य प्रक्रियाएं सीखी कुछ दिन प्रक्रिया सीखने के बाद वह मास्टर से पूछता है कि – “मैं हर दिन अगर 4 घंटा ध्यान करूं तो मुझे मन को जीतने में कितना समय लगेगा”? 

मास्टर ने कहा – 10 साल

उस आदमी ने फिर पूछा – “अगर मैं हर दिन 8 घंटा ध्यान करूं तो कितना समय लगेगा”? 

मास्टर ने कहा – 20 साल 

उस आदमी ने आश्चर्य किया कि अगर मैं दोगुनी मेहनत करूं तो मुझे ज्यादा समय क्यों लगेगा?


मास्टर ने कहा – असल में तुमको केवल 2 घंटा ध्यान करने की जरूरत है अगर तुम 2 घंटे का काम 8 घंटे में करोगे तो तुम थकोगे, परेशान रहोगे और असली मकसद भूल जाओगे आदमी ने पूछा तो जीवन का असली मकसद क्या है?


मास्टर ने कहा – सारे दुख और परेशानी मन से प्रकट होते हैं अगर मन नियंत्रण में है तो कोई दिक्कत नहीं है, खुश और आनंदित रहना यानी मन को जीतना जीवन का असली मकसद है। इसलिए हमेशा अपना बेस्ट करो मन लगाकर सारे काम करो जितना जरूरी हो जैसे जरूरी हो वैसा करो। फिर मस्त रहो खुश रहो। जब तुम ऐसा करोगे तब तुम आनंदित और जिंदादिली रहोगे और 1 दिन मन को पूरी तरह पार कर जाओगे। यह कहानी Don Ruiz की किताब The four spiritual agreements में मिलती है जो कहती है कि अगर आप अपने आपसे चार बातें यानी पूरे agreement निभा जाओ तो आप अपनी जिंदगी को हर तरह से सफल बना लोगे किताब में चौथा एग्रीमेंट है.


1.) Always Do Your Best


हर परिस्थिति में बेस्ट महसूस करो और अपना बेस्ट करो आप हर परिस्थिति में exactly उतना करते हो जितने की जरूरत है ना कम ना ज्यादा क्योंकि आपके अंदर और बाहर सब जीवित है और सब लगातार बदल रहा है इसलिए हर परिस्थिति में आपका बेस्ट अलग दिखेगा। यह बारीकी से समझना आखिर क्यों जरूरी है? इसलिए क्योंकि जिस दिन आप तरोताजा हो उस दिन आपका बेस्ट अलग है। जिस दिन आप को बुखार है उस दिन आपका बेस्ट अलग है। अगर आप हर परिस्थिति में अपना बेस्ट करोगे तो आपके मन को judge करने का मौका नहीं मिलेगा आपको guilt और doubt नहीं होगा। आपने खुद महसूस किया होगा जिस दिन आपने पूरा मन लगाकर काम किया होता है उस रात नींद अच्छी आती है जब आप बेस्ट करने लगते हो तो आपका मन शांत होने लगता है फिर साथ में दूसरा बदलाव आता है।


2.) Awareness


अधिकतर लोग बेहोशी में जी रहे हैं, कुछ कर रहे हैं और मन में कुछ चल रहा है। पुरानी बातें भी परेशान कर रही है। जब आप हर दिन हर समय बेस्ट करते हो तब आप बेहोशी में नहीं जी सकते आपको सचेत रहना पड़ता है कि आपके अंदर और बाहर क्या चल रहा है। आपके विचार कैसे हैं। एनर्जी पैटर्न कैसे हैं। आपको ध्यान देना पड़ता है आप कि मैं अपने आसपास बेहतर से बेहतर क्या कर सकता हूं जिससे आपकी अवेयरनेस बढ़ती है और जैसे आपकी अवेयरनेस बढ़ती है वैसे आपके अंदर समत्वम बढ़ता है। समत्वम में इमोशनल मेंटल और एनरजेटिक तीनों balance शामिल है आपको पता होता है कि आज आप की कितनी सीमा है और आज कितनी जरूरत है आप उतना ही करते हो नहीं तो आप अपने आप को चोट पहुंचा लोगे।


3.) Learning


अवेयरनेस और बैलेंस के साथ आप सीखने लगते हो क्योंकि जब आप ध्यान देते हो कि क्या अच्छा हुआ क्या बेहतर किया जा सकता है तब आपके काम की क्वालिटी आपके फोकस की क्वालिटी और आपके जीवन की क्वालिटी समय के साथ बढ़ती जाती है अवेयरनेस बैलेंस और फोकस के साथ एक और बदलाव आने लगता है वह डिटैचमेंट


4.) Detachment


Reward के प्रति डिटैचमेंट पैदा होने लगता है लेकिन कैसे?

अगर कोई काम नहीं हुआ तो आप खुद को judge नहीं करते, खुद को गाली नहीं देते, क्योंकि आपको पता है जितना हो सकता था, जितना मन दिमाग और शरीर लगाया जा सकता था वह सब कुछ किया। जब आप खुद को जज नहीं करते जब आप रिजल्ट से detach हो जाते हो। रिजल्ट अब आए या ना संभव हो पाए लक्ष्य कितना दूर नजर आए। आप हमेशा detach होकर अपना बेस्ट करते हो। डिटैचमेंट से डर खत्म हो जाता है और डर खत्म होने से आप की क्वालिटी में विस्तार होता है, ऊर्जा में विस्तार होता है तो जीवन की इंटेंसिटी बढ़ने लगती है इंटेंसिटी का मतलब आप बिना डर के पूरी तरह डूब कर सही एक्शन ले सकते हैं और जब इंटेंसिटी बढ़ती है तो आप एक्शन लेने में खुशी महसूस करते हो।

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आप अपना बेस्ट नहीं कर पाते तब दृश्य कैसा होता?


Don Ruiz कहते हैं रिवॉर्ड यानी सैलरी का लालच ना हो तो अधिकतर लोग एक्शन के बारे में सोच भी नहीं पाते। फिर आधे मन से एक्शन लेने में बहुत मेहनत लगती है, मानसिक कष्ट होता है इस कष्ट से खुद को detach करने के लिए लोग दुनिया भर की आदत डाल लेते हैं और हफ्ते भर संडे का इंतजार करते हैं और जब संडे आता है तब अपने आपको इंटरटेनमेंट के नशे में डूबा लेते हैं और इसमें भी उन्हें खुशी नहीं मिलती क्योंकि दिमाग को वर्तमान में रहना नहीं आता कुछ ही देर में आप अगले और पिछले हफ्ते के बारे में सोचने लगते हो।

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यह हमारे अंदर भी दिखता है अगर आपने नोटिस किया हो कि दिन भर दिमाग शांत नहीं रह पाता आप कुछ करते हो फिर भी दिमाग में पीछे कॉमेंट्री चलती रहती है, आप चलते फिरते चीजों से टकरा जाते हो, आप सोचते कुछ और करते कुछ और हो और होता कुछ और ही है। अगर आपके साथ भी यह सब होता है तो इसका मतलब यह है कि आप में कोई कमी नहीं है बल्कि आपको इस साईकिल से बाहर निकलने की जरूरत होगी बस अपना बेस्ट देना शुरू करो जो भी कर रहे हो उसमें मजा लेना शुरू करो।


अब सवाल यह है कि हम हमेशा बेस्ट एक्शन कैसे लें?


1.) जैसे आपने बाकी बिलीफ सिस्टम पर विश्वास कर लिया है वैसे ही इस बात पर आपको यकीन करना होगा कि “मैं जो भी करता हूं जो भी सोचता हूं वह हमेशा बेस्ट होता है” शुरू में आपको मुश्किलें आएंगी मन बीच में अलग-अलग बातें बोलने लगेगा कि इन सब से कुछ नहीं होता, हर समय कोई अपना बेस्ट नहीं दे सकता, इतनी आसानी से प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हो सकती, तब अपने आप को याद दिलाओ कि आपने आज तक जो भी सीखा वह Repetition से सीखा रिपीटेशन से ही मैं हमेशा बेस्ट सोचता हूं और best करता हूं.


2.) Don Ruiz कहते हैं कि आप अगर इतना करना सीख लो तो सारी स्प्रिचुअल किताबों का ज्ञान आपके लिए खुल जाएगा आपको अपने मन को जीतने के लिए कोई फिलॉसफी जानने की जरूरत नहीं है। आपके दिमाग में जितनी भी कल्पनाएं हैं आइडियाज है वह तभी सच हो सकते हैं जब आप सही एक्शन बार-बार लोगे। लॉ ऑफ अट्रैक्शन आपकी कल्पना से शुरू होता है विचारों से एनर्जी फिर वाइब्रेशन में बदलता है। यह आखिर में एक्शन और रिजल्ट का रूप लेता है। पूरा ब्रह्मांड विराट और सूक्ष्म action के रूप में अपना काम करता है एक बार आप अपना बेस्ट करने में सफल हो गए तो फिर आप जिस चीज में प्रोजेक्ट में हाथ लगाओगे उसे ट्रांसफॉर्म कर सकते हो।

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3.) मन को जीतना जरूरी है क्योंकि आपको काम दुखी नहीं करता आपको पढ़ाई दूर नहीं करती यह मन है जो दुखी रहता है, चिंता करता है, संदेह करता है और खुद को सजा देता है। आप हर परिस्थिति में अपना बेस्ट करना और बेस्ट महसूस करना शुरू करो जिससे अवेयरनेस के साथ-साथ बैलेंस बढ़ता है। इसी तरह हमारी लर्निंग और फोकस में सुधार आता है इसी के साथ दो बातों का पुनर्जन्म होता है डिटैचमेंट और इंटेंसिटी और डर के कम होने से जैसे-जैसे इंटेंसिटी बढ़ने लगती है वैसे वैसे आपको एक्शन में खुशी महसूस होने लगती है। जो पूरे जीवन में फैल जाती है क्योंकि आपका पूरा जीवन ही एक्शन का बना है और यही खुशियां आपको मन के पार ले जाती है।

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