ड्वेन जॉनसन (द रॉक) की इंस्पिरेशनल स्पीच | Dwayne Johnson inspirational speech in hindi

ड्वेन जॉनसन की इंस्पिरेशनल स्पीच |  Dwayne Johnson inspirational speech in hindi


ड्वेन जॉनसन की इंस्पिरेशनल स्पीच |  Dwayne Johnson inspirational speech in hindi


मेरे लिए जिस बात ने सबसे ज्यादा अच्छा काम किया वह है मुश्किल हालातों को याद रखना वह भले ही मेरे फिल्मी करियर की शुरुआत हो या डब्ल्यूडब्ल्यूई में कदम रखना हो जब भी मेरे साथ कुछ अच्छा हुआ उससे पहले मैंने हमेशा एक पल रुक कर सोचा था कि मुझे 14 साल की उम्र में आईलैंड से बेदखल कर दिया गया था। हम हवाई में नहीं रह सकते थे, रहने को कोई जगह नहीं थी। यह बातें आज कर रहा हूं तो मुझे एहसास हो रहा है कि यही तो वह सपना था जिसे मैं बचपन से देखा करता था और अब मैं यहां हूं मैं अपने जीवन में हुई बुरी घटनाओं को भूला नहीं हूं, कब बास्केटबॉल में मेरी पसंदीदा जगह मुझसे छीनी गई , कब मेरे कोच ने मुझसे बुरा बर्ताव किया.. मुझे सब याद है इन सब बातों ने मेरे लिए उस वक्त भी काम किया और यही गुस्सा में मैदान में दिखाता था, यह गुस्सा था कि आखिर कब तक में नंबर वन नहीं बनूंगा!


2006 में पहले मैंने रेसलिंग तब छोड़ी थी जब मैं टॉप पर था । हॉलीवुड में भी मुझे महान बनना था लोगों का मनोरंजन करने फिल्म बनाने के लिए मैं प्रतिबद्ध था। इसीलिए मैं रेसलिंग से चुपचाप रिटायर हो गया 2 साल बाद में यह सोच रहा था कि मैंने अपने करियर के साथ यह क्या कर लिया… क्योंकि मेरी फिल्में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थी इस बुरे दौर से मैं तभी निकल पाया जब मैंने अपने सबसे बुरे दौर को याद किया। इसी से मुझे आने वाले बड़े लम्हों में बिना किसी डर के प्रवेश करने की इजाजत मिलती थी।


मेरे लिए शुरूआत ही खास है फिर वह दिन ही क्यों ना हो मैं सुबह 4:00 बजे उठ जाता हूं बुरा वक्त तो आता रहेगा उसको रोकने के लिए आपको प्रतिबद्ध होना होगा।



डब्ल्यूडब्ल्यूई में मेरा आखिरी मैच जॉन सीना के साथ था यह करीब 45 मिनट चलना था। यह वह दौर था जब मैं रिंग में काफी कम वक्त बिताता था क्योंकि मेरी फिल्मों की शूटिंग लगातार चलती थी। मैं खूब ट्रैवलिंग करता था। स्टेडियम खचाखच भरा था करीब 85000 लोग वहां थे मैच शुरू हुए कुछ ही मिनट हुए थे और हम दोनों ही गिरे हुए थे मैं अपने हाथ से पैरों को टटोल रहा था कहीं कोई हड्डी तो बाहर नहीं निकल आई है हड्डियां जगह पर थी लेकिन मुझे महसूस हो गया था कि कुछ गड़बड़ है। रेफरी ने मुझसे पूछा कि आप ठीक तो हैं? मैंने कह तो दिया था कि मैं ठीक हूं लेकिन मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था। यह वह लम्हे होते हैं जो निर्णायक होते हैं मैं रेफरी को मना कर सकता था। और मैंने रेफरी से पूछा कि और कितना वक्त शेष है उसका जवाब था 32 मिनट जैसे तैसे मैच पूरा किया और अब मैं अपने प्लेन से फ्लोरिडा जा रहा था वहां जाकर m.r.i. हुआ तो पता लगा कि मैंने अपना अडक्टर तोड़ लिया है। मुझे गर्व है कि मैं अपने पैरों से चलकर मैच से बाहर आया मेरे साथ जो हुआ वह अस्थाई क्षति थी लेकिन अगर मैं अपना संपूर्ण दिए बगैर मैच बीच में छोड़ देता तो उससे कभी उबर नहीं पाता। 


दोस्तों ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम पा नहीं सकते, आपको बस निरंतर चलते रहने की आवश्यकता है और यह याद रखने की, कि आपने शुरुआत कहां से की थी।